फर्जीवाड़े की नई हद! सोनालिका ट्रैक्टर के नाम से निवास प्रमाण पत्र का आवेदन,मोनालिसा की फोटो का इस्तेमाल, माता-पिता का नाम सुन चौंक जाएंगे आप
बिहार में फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए सरकारी प्रमाण पत्र बनवाने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पटना में 'डॉग बाबू' के नाम से फर्जी निवास प्रमाण पत्र जारी होने की घटना के बाद अब पूर्वी चंपारण जिले के कोटवा अंचल से एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस बार 'सोनालिका ट्रैक्टर' के नाम से निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया गया, जिसमें भोजपुरी अभिनेत्री मोनालिसा की फोटो का गलत इस्तेमाल ...

बिहार में फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए सरकारी प्रमाण पत्र बनवाने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पटना में 'डॉग बाबू' के नाम से फर्जी निवास प्रमाण पत्र जारी होने की घटना के बाद अब पूर्वी चंपारण जिले के कोटवा अंचल से एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस बार 'सोनालिका ट्रैक्टर' के नाम से निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया गया, जिसमें भोजपुरी अभिनेत्री मोनालिसा की फोटो का गलत इस्तेमाल किया गया।
'स्वराज ट्रैक्टर' पिता और 'कार देवी' मां!
कोटवा अंचल कार्यालय में मिले आवेदन में नाम 'सोनालिका ट्रैक्टर', पिता का नाम 'स्वराज ट्रैक्टर' और माता का नाम 'कार देवी' दर्ज था। आवेदन में जो तस्वीर लगाई गई थी, वह मशहूर भोजपुरी अदाकारा मोनालिसा की थी।इस अजीबोगरीब आवेदन ने प्रशासनिक प्रक्रिया और दस्तावेज़ सत्यापन प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।जैसे ही यह मामला सामने आया, कोटवा अंचलाधिकारी ने तत्काल इसकी जानकारी पुलिस को दी। इसके बाद छौड़ादानो थाना में अज्ञात आवेदक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। FIR में साइबर फ्रॉड, सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ और फर्जीवाड़े की धाराएं लगाई गई हैं।
SDO बोले – सुनियोजित साजिश हो सकती है
बता दें कि पुलिस अब आवेदनकर्ता के IP एड्रेस की जांच कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह आवेदन किसने और कहां से किया।मोतिहारी के SDO ने कहा है कि यह मामला एक गहरी साजिश का हिस्सा हो सकता है, जिसका मकसद प्रशासनिक व्यवस्था को बदनाम करना है। उन्होंने कहा-“जांच जारी है, और इस प्रक्रिया में लिप्त किसी भी कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा।”
जिलाधिकारी ने दिया त्वरित जांच का निर्देश
जिलाधिकारी ने घटना की गंभीरता को देखते हुए त्वरित जांच का आदेश दे दिया है। दोषी कर्मचारियों और डेटा ऑपरेटरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात भी कही गई है।बता दें कि प्रशासन की साख पर उठते सवालों के बीच अब निगाहें इस बात पर हैं कि क्या दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई और पारदर्शी कार्यवाही हो सकेगी।वहीं बार-बार फर्जी प्रमाण पत्र के मामले सामने आना न केवल प्रशासनिक प्रणाली की कमजोरी को दर्शाता है, बल्कि यह भी साफ करता है कि साइबर धोखाधड़ी अब सरकारी रिकॉर्ड्स को भी निशाना बना रही है।