पितृपक्ष मेला 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का गयाजी दौरा, विष्णुपद मंदिर में पिंडदान,सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम
बिहार की मोक्षभूमि गया नगरी…वह स्थान, जहाँ आस्था और सनातन परंपरा का संगम होता है…जहाँ हर साल पितृपक्ष के पावन अवसर पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आते हैं। इसी विश्वविख्यात पितृपक्ष मेले के बीच आज का दिन ऐतिहासिक बन गया।भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्वयं गयाजी पहुँची हैं। जहां वो विष्णुपद, फल्गु और अक्षयवट में पिंडदान ...........

बिहार की मोक्षभूमि गया नगरी…वह स्थान, जहाँ आस्था और सनातन परंपरा का संगम होता है…जहाँ हर साल पितृपक्ष के पावन अवसर पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आते हैं। इसी विश्वविख्यात पितृपक्ष मेले के बीच आज का दिन ऐतिहासिक बन गया।भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्वयं गयाजी पहुँची हैं। जहां वो विष्णुपद, फल्गु और अक्षयवट में पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड करेंगी।
कड़ी सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आगमन को लेकर गयाजी की गलियों से लेकर विष्णुपद मंदिर परिसर तक सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं।एल्युमिनियम फैब्रिकेटेड हॉल में विशेष कक्ष बनाए गए, जहाँ महामहिम ने अपने परिजनों संग पिंडदान का विधान पूरा किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आगमन को लेकर गयाजी की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता किया गया है। चप्पे -चप्पे पर पुलिस बलों की तैनाती की गई है। जिला प्रशासन द्वारा भी राष्ट्रपति के आगमन को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है। जिला प्रशासन ने रूट लाइनिंग और ट्रैफिक प्लान तैयार कर लिया है।
सभी प्रकार के वाहनों का परिचालन बंद
बता दें कि गया एयरपोर्ट के 5 नंबर गेट से घुघरीटांड़ बाइपास, नारायणी पुल, बंगाली आश्रम होते हुए राष्ट्रपति विष्णुपद मंदिर पहुंचेंगी।इसी रूट से राष्ट्रपति वापस एयरपोर्ट पहुंचेंगी। इस दौरान दोमुहान से सिकड़िया मोड़ तक सभी प्रकार के वाहनों का परिचालन बंद रहेगा। बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का पैतृक गांव उड़ीसा के मयूरगंज अंतर्गत आने वाला ऊपर बेड़ा गांव है। वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पितरों के पंडा राजेश लाल कटारियार है, जिनके पास ऊपर बेड़ा गांव के पिंडदानियों का बहीखाता है।
पहली बार कोई राष्ट्रपति पिंडदान करने आ रहा
जानकारी के लिए यह भी बता दें कि इतिहास में यह पहला अवसर है जब कोई राष्ट्रपति पद पर रहते हुए, गया में पिंडदान करने पहुँचा है। इससे पहले तक किसी भी राष्ट्रपति ने इस परंपरा को नहीं निभाया था। आज का दिन गयाजी के लिए ऐतिहासिक रहा, जब राष्ट्रपति ने आस्था और परंपरा का यह अनूठा अध्याय जोड़ा। वैसे ज्ञानी जैल सिंह राष्ट्रपति पद पर रहते हुए गयाजी आए थे और उन्होंने गयाजी के दर्शन किए थे। इसके अलावा उपराष्ट्रपति रहते हुए आर वेंकटरमन भी गयाजी पहुंचे थे और पिंडदान किया था। बता दें कि बिहार के गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला अपने 15वें दिन में है, जो गया श्राद्ध का 14वां दिन भी है। इस दिन वैतरणी सरोवर पर तर्पण और गोदान का विशेष विधान है। मान्यता है कि इस दिन वैतरणी वेदी पर स्नान और तर्पण करने से पिंडदानी के 21 कुलों का उद्धार होता है।