तेजस्वी यादव पर पार्टी के भीतर बगावत! शिवानंद तिवारी के बयान से मचा बवाल

बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अंदर ही राजनीतिक भूचाल पैदा हो गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की लगातार गैरहाज़िरी पर जहां सत्ता पक्ष हमलावर है, वहीं अब पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने खुलकर नाराजगी जताते हुए बड़ा दावा किया है।तिवारी के मुताबिक, तेजस्वी यादव ने विधानसभा सत्र के दौरान बिहार छोड़कर परिवार के साथ यूरोप की यात्रा पर निकलने का फैसला.........................

तेजस्वी यादव पर पार्टी के भीतर बगावत! शिवानंद तिवारी के बयान से मचा बवाल

बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अंदर ही राजनीतिक भूचाल पैदा हो गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की लगातार गैरहाज़िरी पर जहां सत्ता पक्ष हमलावर है, वहीं अब पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने खुलकर नाराजगी जताते हुए बड़ा दावा किया है।तिवारी के मुताबिक, तेजस्वी यादव ने विधानसभा सत्र के दौरान बिहार छोड़कर परिवार के साथ यूरोप की यात्रा पर निकलने का फैसला किया, जिससे विपक्ष की भूमिका पूरी तरह कमजोर पड़ गई है।

तेजस्वी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम
शिवानंद तिवारी ने कहा कि तेजस्वी ने मैदान छोड़ दिया है। तिवारी ने तेजस्वी की क्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा, "अगले 5 साल तक विरोधी दल के नेता की भूमिका निभाने की क्षमता उनमें नहीं है।"उन्होंने बताया कि जब राज्यपाल का अभिभाषण हो रहा था, तब तेजस्वी सदन में नहीं थे। उस वक्त कहा गया कि वे दिल्ली गए हैं, जहां उनकी पत्नी और बच्ची पहले ही जा चुके थे लेकिन अब जानकारी मिल रही है कि वे परिवार के साथ यूरोप घूमने निकल गए हैं।।

बिहार की राजनीति पर गंभीर सवाल
शिवानंद तिवारी ने राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चिंता प्रकट करते हुए कहा बिहार में विरोध की राजनीति  का पूरा मैदान खाली पड़ा है। नीतीश कुमार पांच साल मुख्यमंत्री रहेंगे, यह भी संदेह हैं। आरएसएस का बिहार पर झंडा फहराने का सपना पूरा होता दिख रहा है। उन्होंने साफ कहा कि इसकी जिम्मेदारी सिर्फ जदयू पर नहीं थोपी जा सकती।

सत्र के पहले दो दिन मौजूद, फिर अचानक गायब
जानकारी के लिए बता दें कि 1 दिसंबर से शुरू हुए शीतकालीन सत्र में तेजस्वी यादव पहले दिन विधायकों के शपथ ग्रहण और दूसरे दिन स्पीकर चुनाव के दौरान मौजूद थे।उन्हें औपचारिक रूप से नेता प्रतिपक्ष भी घोषित किया गया, लेकिन इसके बाद से वे पूरी तरह नदारद हैं।दरअसल उनकी अनुपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे दिया है।