गोपालगंज से विदा हुए बाबा बागेश्वर, कहा-हम मंदिरों में भीड़ और सड़क पर तूफान चाहते हैं..रामराज से भरा हिंदुस्तान ..

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कथा के अंतिम दिन भी मंच से भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग का जयघोष किया। उन्होंने अपने भक्तों से अपील की कि वो जात-पात से ऊपर होकर एक हो जाएं तभी भारत हिंदू राष्ट्र बनेगा।

गोपालगंज से विदा हुए बाबा बागेश्वर, कहा-हम मंदिरों में भीड़ और सड़क पर तूफान चाहते हैं..रामराज से भरा हिंदुस्तान ..
Baba Bageshwar

बिहार के गोपालगंज में सोमवार को बाबा बागेश्वर की हनुमंत कथा का अंतिम दिन था। गोपालगंज में पांच दिनों तक हनुमंत कथा का आयोजन चला। सोमवार को  गोपालगंज में कथा के अंतिम दिन भीड़ इस तरह उमड़ी थी कि करीब डेढ घंटे में ही आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कथा समाप्त कर दिया और दरभंगा के लिए रवाना हो गए। श्रोताओं की भारी भीड़ थी।  कोई अव्यवस्था नहीं पैदा हो इसलिए बाबा बागेश्वर ने कथा पहले ही संपन्न कर लिया।

मैं संविधान के खिलाफ नहीं हूं- बाबा बागेश्वर 

वहीं हिन्दू राष्ट्र के मुद्दे पर बाबा बागेश्वर ने बड़ी बहस छेड़ दी है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कथा के अंतिम दिन भी मंच से भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग का जयघोष किया। उन्होंने अपने भक्तों से अपील की कि वो जात-पात से ऊपर होकर एक हो जाएं तभी भारत हिंदू राष्ट्र बनेगा। आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि इसकी आवाज सबसे पहले बिहार से ही उठेगी। उन्होंने मंच से कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की आवाज कहीं से अगर उठेगी तो सबसे अधिक और पहले बिहार से ही वो आवाज उठेगी। उन्होंने कहा कि ‘हम मंदिरों में भीड़ और सड़क पर तूफान चाहते हैं। रामराज से भरा हिंदुस्तान चाहते हैं।  जब सारे सनातनी जात-पात से ऊपर उठकर एक होंगे तभी भारत हिंदु राष्ट्र कहलाएगा। उन्होंने कहा कि मैं संविधान के खिलाफ नहीं हूं। मेरे एक हाथ में संविधान रहता है तो दूसरे हाथ में श्रीराम और हनुमान साथ लेकर चलता हूं। 

बाबा बागेश्वर ने नम आंखों से भक्तों से विदा लिया

दरअसल गोपालगंज के भोरे स्थित रामनगर के मठ परिसर में 6 मार्च को शुरू हुई हनुमंत कथा का जब समापन सोमवार को हुआ तो बाबा बागेश्वर ने नम आंखों से भक्तों से विदा लिया। जय श्री राम के जयघोष के साथ कथा संपन्न हुई। बाबा बागेश्वर ने भक्तों से वादा किया कि वो फिर बिहार आएंगे। जब बाबा बागेश्वर गोपालगंज से विदा हो रहे थे तो उन्होंने गाड़ी की छत से निकलकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। बिहार की शान गमछा को उन्होंने लपेटकर मुरेठा बांधा और जिया हो बिहार के लाला कहते हुए गाड़ी से निकले। कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें ले जाया गया।