बिहार चुनाव 2025: फलक को ज़िद है बिजलियां गिराने की...., उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी सोशल मीडिया पर उजागर

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए (NDA) ने सीट बंटवारे का ऐलान कर महागठबंधन पर रणनीतिक बढ़त बनाने की कोशिश जरूर की है, लेकिन गठबंधन के भीतर असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। सहयोगी दल RLM के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और हम पार्टी के अध्यक्ष जीतन राम मांझी की नाराजगी ने एनडीए की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए................

बिहार चुनाव 2025: फलक को ज़िद है बिजलियां गिराने की...., उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी सोशल मीडिया पर उजागर

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए (NDA) ने सीट बंटवारे का ऐलान कर महागठबंधन पर रणनीतिक बढ़त बनाने की कोशिश जरूर की है, लेकिन गठबंधन के भीतर असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। सहयोगी दल RLM के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और हम पार्टी के अध्यक्ष जीतन राम मांझी की नाराजगी ने एनडीए की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी सोशल मीडिया पर उजागर
उपेंद्र कुशवाहा लगातार सोशल मीडिया के ज़रिए अपनी नाराजगी जता रहे हैं। सोमवार को उन्होंने ‘एक्स’पर एक काव्यात्मक पोस्ट शेयर किया, जिससे उनकी नाखुशी साफ झलकती है। “आज बादलों ने फिर साजिश की, जहां मेरा घर था वहीं बारिश की।अगर फलक को ज़िद है बिजलियां गिराने की,तो हमें भी ज़िद है वहीं पर आशियां बसाने की।” हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन संदेश साफ है — सीट बंटवारे से वे संतुष्ट नहीं हैं। इससे पहले रविवार को भी उन्होंने 6 सीटों के बंटवारे को लेकर अपने समर्थकों से माफ़ी मांगी थी।

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पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कई ऐसी सीटें थीं जहां कुशवाहा अपनी दावेदारी मजबूत मान रहे थे, लेकिन उन्हें वे नहीं मिल पाईं। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में भी असंतोष है। दूसरी ओर हम के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी सीट बंटवारे पर नाखुशी जाहिर की है। उनका कहना है कि पार्टी  का सही मूल्यांकन नहीं किया गया। उन्होंने कहा-“हमारी पार्टी को सिर्फ 6 सीटें मिलीं, जो हमारे जनाधार के अनुरूप नहीं हैं। इसका असर गठबंधन पर पड़ेगा।”हालांकि उन्होंने इनमें से चार सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, लेकिन पार्टी के भीतर से भी नाराजगी की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है। अगर मांझी की यह नाराजगी बढ़ती है तो एनडीए की चुनावी रणनीति पर गंभीर असर पड़ सकता है।

बीजेपी के लिए चिंता की बात
अब जब सीट बंटवारे की घोषणा हो चुकी है, ऐसे में सीटों की संख्या बढ़ाना संभव नहीं दिखता लेकिन बीजेपी अपने सहयोगियों को मनाने की कोशिश जरूर करेगी, ताकि कोई नया विवाद न खड़ा हो।सूत्र बताते हैं कि इससे पहले जब चिराग पासवान, मांझी और कुशवाहा असंतुष्ट थे, तब बीजेपी ने अपने वरिष्ठ नेताओं को आगे कर उन्हें मनाने का प्रयास किया था। अब फिर से ऐसा करने की ज़रूरत पड़ सकती है।  अब देखना होगा कि बीजेपी किस तरह से अपने सहयोगियों को एकजुट रखने की रणनीति अपनाती है, क्योंकि चुनाव की तारीख नज़दीक है और हर सीट अहम।