पहले मुझे निकाला.. फिर देवी जैसी मेरी बहन रोहिणी....भड़के तेज प्रताप, कहा- 80 से 25 सीट पर आए, अब 25 से 5 में देर नहीं!
बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद आरजेडी में खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही। परिवारिक मतभेदों के बीच पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने एक बार फिर अपने छोटे भाई और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर निशाना साधा है। तेज प्रताप ने बहन रोहिणी आचार्य के पार्टी और परिवार से दूरी बनाने के फैसले को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी और पूछा...
बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद आरजेडी में खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही। परिवारिक मतभेदों के बीच पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने एक बार फिर अपने छोटे भाई और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर निशाना साधा है। तेज प्रताप ने बहन रोहिणी आचार्य के पार्टी और परिवार से दूरी बनाने के फैसले को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी और पूछा ऐसा ही रहा तो पार्टी में बचेगा कौन?
मेरी आवाज़ दबाई गई
जनशक्ति जनता दल के आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखी एक विस्तृत पोस्ट में तेज प्रताप ने कहा कि जब उन्हें पार्टी से हटाया गया था तो कई लोगों को लगा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।उनके अनुसार,मुझे रोककर रखा गया, मेरी आवाज़ दबाई गई। फिर भी मैं पूरी निष्ठा से पार्टी में काम करता रहा। लेकिन जिस दिन मैंने ‘नई RJD’ की हकीकत जनता को बताई, उसी दिन सबको अहसास हो गया कि उन्होंने क्या खोया है। तेज प्रताप ने चुनावी आंकड़ों का हवाला देते हुए लिखा
2015 में 80 सीट थे और 2020 में 2020 में 75। अब आकर 25 सीट पर ठहरे हैं। इसी तरह की राजनीति अगर जारी रही तो 25 से 5 तक आने में भी देर नहीं लगेगी।
सबको निकालोगे तो रहेगा कौन?
उन्होंने कहा कि ये गिरावट मैं नहीं बल्कि जनता बता रही है कि गलती कहां हुई और मज़ेदार बात- आज वही लोग पूछ रहे हैं कि सबको निकालोगे तो रहेगा कौन? अफसोस यही सवाल तो आज जनता पूछ रही है कि पार्टी बची कहाँ है? तेजप्रताप लिखते हैं, 'पहले मुझे निकाला फिर देवी जैसी मेरी बहन रोहिणी जी को निकाला। पूरा बिहार हंस रहा था कि जिस परिवार ने लोगों को हंसाया और रुलाया, वही आज खुद मज़ाक का पात्र बन गया। इज़्ज़त का तमाशा जब-जब हुआ है पार्थ, धर्म ने हस्तिनापुर ही नहीं, पूरा इतिहास बदल दिया है।'
आरजेडी को मात्र 5 सीट ही मिली
इतना ही नहीं आरजेडी की इस स्थिति के लिए उन्होंने अपने अलगाव को भी वजह बताया। वह लिखते हैं कि ये तो सिर्फ़ 20 दिन का ही कमाल है यदि मैं पूरे बिहार में घूमता तो इसी बार ये पांच सीट पर आ जाते। हम लोग 44 सीटो पर लड़े थे। वहां आरजेडी को मात्र 5 सीट ही मिली। बिहार की जनता समझ चुकी है कि RJD अब लालू जी की विचारधारा वाली पार्टी नहीं बल्कि जयचंदों द्वारा हथियाई गई पार्टी बन चुकी है। जहां सिद्धांत की जगह चाटुकार बैठा हो और समर्पण की जगह षड्यंत्र... वहां सवाल भी खोखले लगते हैं।
मेरे ही लोगों से दूर किया गया
अंत में उन्होंने लिखा मैंने कभी किसी को नहीं निकाला। मुझे तो मेरे ही घर से, मेरे ही लोगों से दूर किया गया। फिर भी जिस दिन जनता ने मुझे सुना एक बात साफ़ हो गई! राजनीति कुर्सी की नहीं- चरित्र की होती है।आज लोग ये नहीं पूछ रहे - "कौन रहेगा?” आज बिहार ये पूछ रहा है-"कौन सच के साथ खड़ा है? और इसका जवाब वही देगा - जिसके पास जनता का प्रेम है, न कि चापलूसों की भीड़।













