बाढ़ में डूबी जनता…और जनता के कंधे पर सवार सांसद महोदय!,जनता का सम्मान …या धैर्य की परीक्षा?

बिहार की राजनीति में एक अजीब नज़ारा सामने आया है। कटिहार से कांग्रेस सांसद तारिक अनवर बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे… लेकिन पानी से गुजरने के लिए अपने पैरों पर भरोसा करने के बजाय लोगों के कंधे पर सवार हो गए और फिर क्या था… कैमरे में कैद हुआ ये नज़ारा सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो के वायरल होते ही इस पर सियासत गरमा गई।जहां एक तरफ कांग्रेस कह रही है -यह जनता का प्यार और सम्मान है तो वहीं दूसरी तरफ.....

बाढ़ में डूबी जनता…और जनता के कंधे पर सवार सांसद महोदय!,जनता का सम्मान …या धैर्य की परीक्षा?


बिहार की राजनीति में एक अजीब नज़ारा सामने आया है। कटिहार से कांग्रेस सांसद तारिक अनवर बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे… लेकिन पानी से गुजरने के लिए अपने पैरों पर भरोसा करने के बजाय लोगों के कंधे पर सवार हो गए और फिर क्या था… कैमरे में कैद हुआ ये नज़ारा सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो के वायरल होते ही इस पर सियासत गरमा गई।जहां एक तरफ कांग्रेस कह रही है -यह जनता का प्यार और सम्मान है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष का आरोप है यह जनता का अपमान और राजनीतिक स्टंट है।

क्या है मामला
बता दें कि सांसद तारिक अनवर अपने दो दिवसीय दौरे पर कटिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों, बरारी और मनिहारी विधानसभा के धुरियाही पंचायत में पहुंचे थे। शुरुआत में उन्होंने ट्रैक्टर से दूर-दराज के इलाकों का जायजा लिया लेकिन जब उन्हें पानी से भरे क्षेत्रों से पैदल गुजरना पड़ा, तो वे खुद चलने के बजाय स्थानीय लोगों के कंधे पर बैठ गए। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद, इसकी आलोचना शुरू हो गई है।

कांग्रेस की सफाई
वहीं कटिहार जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुनील यादव ने सांसद का बचाव करते हुए कहा कि, “सांसद तारिक अनवर बाढ़ पीड़ितों की समस्या को समझने के लिए सुदूर इलाकों तक गए थे पानी में चलने के दौरान उनकी तबीयत कुछ खराब हो गई थी, जिसके कारण वे ठीक से चल नहीं पा रहे थे। लोगों ने ही उन्हें प्यार से कंधे पर उठाकर निरीक्षण करवाया। यह उनके प्रति जनता का स्नेह और सम्मान दर्शाता है।

विपक्ष का हमला
हालाँकि, विपक्षी दल कांग्रेस के इस दलील को नकारते हुए कहा है कि यह एक जनप्रतिनिधि का अहंकार दिखाता है। एक स्थानीय भाजपा नेता ने कहा कि, “यह जनता की समस्याओं को देखने का नहीं, बल्कि उनका मजाक उड़ाने का तरीका है। अगर सांसद ठीक से चल नहीं पा रहे थे, तो उन्हें मोटर बोट का इस्तेमाल करना चाहिए था। जनता के कंधे का इस्तेमाल करना पूरी तरह से राजनीतिक स्टंट है।

सम्मान या धैर्य की परीक्षा
बता दें कि जहां एक तरफ बाढ़ की मार झेल रही और अनगिनत समस्याओं से जूझ रही जनता नेताओं से उम्मीद करती है कि वे उनकी समस्याओं से उबार कर उन्हें किनारे तक ले जाएं, उनके दर्द में शामिल हों उनकी समस्या को समझे लेकिन  बाढ़ की मार झेल रही जनता के सोच के ठीक विपरीत नज़ारा कुछ और ही दिखा-जहां जनता कमर तक पानी में डूबी, वहीं नेता जी आराम से कंधे पर बैठकर पानी पार कर रहे थे।बता दें कि अब यह वीडियो सिर्फ एक घटना नहीं रहा, बल्कि बाढ़ग्रस्त इलाकों में नेताओं के दौरे की असली नीयत पर सवाल खड़ा कर रहा है।बार बार एक ही सवाल जेहन में आ रहा है—ये जनता का सम्मान है…या जनता के धैर्य की परीक्षा?