पटना और आसपास टोल व्यवस्था में बड़े बदलाव की तैयारी, यात्रियों पर पड़ेगा सीधा असर
पटना–दानापुर–बिहटा रूट और बख्तियारपुर–दीदारगंज मार्ग पर जल्द ही टोल व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। दानापुर–बिहटा एलिवेटेड फोरलेन के निर्माण के बाद इस मार्ग पर नया टोल प्लाजा बनने की संभावना लगभग तय मानी जा रही है। वहीं दूसरी ओर, कोईलवर पुल पार करते ही पहले से टोल टैक्स देना होता है। इसका मतलब है कि यात्रियों को सिर्फ 15 किलोमीटर के भीतर दो बार टोल देना पड़ सकता....
पटना–दानापुर–बिहटा रूट और बख्तियारपुर–दीदारगंज मार्ग पर जल्द ही टोल व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। दानापुर–बिहटा एलिवेटेड फोरलेन के निर्माण के बाद इस मार्ग पर नया टोल प्लाजा बनने की संभावना लगभग तय मानी जा रही है। वहीं दूसरी ओर, कोईलवर पुल पार करते ही पहले से टोल टैक्स देना होता है। इसका मतलब है कि यात्रियों को सिर्फ 15 किलोमीटर के भीतर दो बार टोल देना पड़ सकता है।NHAI अधिकारियों के अनुसार सामान्य नियम के मुताबिक एक परियोजना में लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर टोल प्लाजा बनता है। कोईलवर से बक्सर तक इसलिए सिर्फ दो टोल की व्यवस्था है।
लेकिन दानापुर–बिहटा एलिवेटेड रोड एक अलग प्रोजेक्ट है, जिस पर निर्माण लागत काफी अधिक है। साथ ही बिहटा क्षेत्र में एयरपोर्ट, एजुकेशन हब और इंडस्ट्रियल जोन तेजी से विकसित हो रहे हैं, जिससे इस रूट पर ट्रैफिक का दबाव काफी बढ़ेगा।यही कारण है कि इस मार्ग के लिए अलग से टोल वसूली जरूरी मानी जा रही है। यदि वही शुल्क कोईलवर टोल में जोड़ दिया जाए, तो आरा–बक्सर जाने वाले यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा।
दीदारगंज टोल प्लाजा भी बदलेगा स्थान
वहीं जेपी गंगा पथ अब दीदारगंज तक जुड़ चुका है और यह टोल प्लाजा के बाद जाकर मिलता है। परिणामस्वरूप गंगा पथ से आने वाले कई वाहन बिना टोल चुकाए ही बख्तियारपुर तक पहुंच जा रहे हैं।इसी वजह से टोल वसूलने वाली एजेंसी ने NHAI से अनुरोध किया है कि दीदारगंज टोल को पूर्व दिशा में आगे शिफ्ट किया जाए, ताकि गंगा पथ का उपयोग करने वाले वाहन भी टोल के दायरे में आ सकें। निर्णय होने के बाद टोल प्लाजा को नई जगह स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
पटना मेट्रो क्षेत्र में टोल मॉडल बदले जाने की मांग
बता दें कि पटना तेजी से मेट्रो सिटी के रूप में विकसित हो रहा है। ऐसे में शहर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाने के लिए टोल देना उचित नहीं है। कई बड़े महानगरों की तरह यह मांग बढ़ रही है कि मेट्रोपॉलिटन एरिया के भीतर टोल वसूली न की जाए। फिलहाल पटना–कोइलवर के बीच लगभग 100 किलोमीटर की दूरी में दो टोल मौजूद हैं, जबकि सामान्य मानक के अनुसार 120 किलोमीटर लंबाई में अधिकतम तीन टोल हो सकते हैं।अधिकारियों का कहना है कि यह व्यवस्था सड़क निर्माण लागत, प्रोजेक्ट की अलग-अलग श्रेणियों और वाहनों के वर्ग के आधार पर तय की जाती है।
आने वाले महीनों में बड़ा बदलाव संभव
बता दें कि नए रूट्स, बदलती सड़क परियोजनाओं और बढ़ते ट्रैफिक के साथ टोल व्यवस्था भी लगातार अपडेट हो रही है।पटना–आरा–बक्सर रूट पर दो नए टोल की संभावना और दीदारगंज टोल प्लाजा के स्थानांतरण का फैसला लंबी अवधि तक यात्रियों को प्रभावित करेगा। अगले कुछ महीनों में इन प्रस्तावों पर अंतिम निर्णय होने की उम्मीद है, जिससे पूरे क्षेत्र की टोल व्यवस्था का स्वरूप बदल सकता है।













